Thursday, December 28, 2017

पति कौन ?


धर्मपूर नाम की एक नगरी थी। उसमें धर्मशील नाम का राजा राज करता था। उसके अंधक नाम का दीवान था। एक दिन दीवान ने कहा : महाराज एक मंदिर बनवाकर उसमें देवी को बिठाकर पूजा किया कीजिए। बड़ा पुण्य मिलेग। 
     राजा ने ऐसा ही किया। एक दिन देवी ने प्रसन्न हो कर उससे वर मांगने को कहा।राजा के कोई संतान नहीं थी। उसने देवी से पुत्र माँगा देवी बोली  : 'अच्छी बात है, तेरे बड़ा प्रतापी पुत्र पैदा होगा। 'कुछ दिन बाद राजा के घर एक लड़का हुआ। सारे नगर में बड़ी ख़ुशी मनाई गई। 

एक दिन एक धोबी अपने मित्र के साथ उस नगर में आया।  उसकी निगह देवी के मंदिर पर पड़ी। उसने देवी को प्रणाम करने का इरादा किया। उसीसमय उसे एक धोबी की लड़की दिखाई दी। वह बडी सुन्दर थी। उसे दिखकर वह इतना पागल हो गया कि उसने मंदिर में जाकर देवी से प्रार्थना की , 'हे देवी ! यह लड़की मुझे मिल जाए। अगर मिल गई तो मै अपना सिर तुझ पर चढ़ा दूंगा'। 
     इसके बाद वह हर घडी बेचैन रहने लगा। उसके मित्र ने उसके पिता से सारा हाल कहा। अपने बेटे की यह हालत दिखकर वह लड़की के पिता के पास गया ओर उसके अनुरोध करने पर दोनों का विवाह हो गया। 
     विवाह के कुछ दिन बाद लड़की के पिता के यहाँ उत्सव हुआ। इसमें शामिल होने के लिए न्योता आया। मित्र को साथ लेकर दोनों चले। रास्ते में देवी का वही मंदिर पड़ा तो लड़के को अपना वचन याद आ गया। उसने मित्र ओर स्त्री को थोड़ी देर रुकने को कहा। वह मंदिर में गया। उसने देवी को प्रणाम किया। फिर तलवार के एक ही वार से अपना सिर काट डाला। 
      देर हो जाने पर उसका मित्र मंदिर के अंदर गया। देखता क्या है कि उसके मित्र का सिर धड़ से अलग पड़ा है। उसने सोचा कि यह दुनिया बड़ी बुरी है। कोई यह तो समझेगा नहीं कि इसने अपनेआप सिर चढ़ाया है। सब यही कहेगे कि इसकी सुन्दर स्त्री को हड़पने के लिए मैंने इसकी गरदन काट दी। इससे यही मर जाना अच्छा है। यह सोच उसने तलवार लेकर अपनी गरदन उड़ा दी। 
       उधर बाहर खड़ी खड़ी स्त्री हैरान हो गई तो वह मंदिर के भीतर गई। देखकर चकित रह गई। सोचने लगी कि दुनिया कहेगी, यह बुरी औरत होगी, इसलिए दोनों को मार आई। इस बदनामी से मर जाना अच्छा है। यह सोच उसने तलवार उठाई ओर जैसे ही गरदन पर मारनी चाही कि देवी ने प्रकट होकर उसका हाथ पकड़ लिया ओर कहा :मै तुज पर प्रसन्न हूं। जो चाहे सो मांग। 
        स्त्री बोली :हे देवी !इन दोनों को जीबित कर दो। 
        देवी ने कहा :अच्छा !तुम दोनों के सिर मिलकर रख दो। 
       घबराहट में स्त्री ने सिर जोड़े तो गलती से एक का सिर दूसरे के धड़ पर लग गया। देवी ने दोनों को जीबित कर दिया। अब वे दोनों आपस में झगड़ने लगे। एक कहता था की यह स्त्री मेरी है दोसरा कहता था मेरी। 

बेताल बोला : हे राजन , बताओ कि वह स्त्री किसकी पत्नी होनी चाहिए। राजन ने कहा: नदियों में गंगा उत्तम है, पर्बतो में सुमेरु , पेड़ो में कल्पबृच्छ और अंगो में सिर। इसलिए जिसके शरीर पर पति का सिर लगा हो वही पति होना चाहिए।  इतना सुनकर बेताल पेड़ पर जा लटका। 
                                                                         बेताल पच्चीसी से 
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